ग्राउंड रिपोर्ट: गुजरात के दलितों पर मोदी, राहुल का असर क्यों नहीं?

गुजरात चुनाव
अहमदाबाद से लगभग 140 किलोमीटर दूर, हम उत्तर गुजरात के पाटन ज़िले में हैं.
स्टेट हाइवे 55 के दोनों किनारों पर कंटीली झाड़ियों की क़तारों के पीछे से कपास और गेहूं के खेत झांक रहे हैं. खेतों का यह विस्तार पार करते हुए हम पाटन की हरजी तालुका में बसे बोरतवाड़ा गांव पहुचंते हैं.
बोरतवाड़ा के दलित बहुल इलाक़े में बसे रोहितवास मोहल्ले में रहने वाले गांव के सरपंच महेश भाई मकवाना के लिए यह एक व्यस्त सुबह है.
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